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जम्मू-कश्मीर में NIA ने 16 जगहों पर की छापेमारी


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श्रीनगर – आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बड़ा कदम उठाया। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकी संबंधी गतिविधियों में मंगलवार को घाटी में 16 स्थानों पर छापा मारा है।

आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम) और उनके सहयोगी अल बद्र, द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), पीपल अगेंस्ट फासिस्ट फोर्सेज (पीएएफएफ), मुजाहिदीन गजवतुल हिंद (एमजीएच) आदि द्वारा विभिन्न आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश को सामने लाने के लिए छापा मारा। हाल ही में कश्मीर घाटी में नागरिकों और अन्य लोगों पर हुए आतंकवादी हमलों में द रेजिस्टेंस फोर्स का हाथ बताया जा रहा है और ये ओवरग्राउंड वर्कर्स इसे मदद करते रहे है।

आपको बता दे की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 10 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में माहौल बिगाड़ने के आरोप में नई FIR दर्ज की थी। जिसके तहत रविवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए ) ने जम्मू-कश्मीर में 16 जगहों पर छापा मारा। कुलगाम, बारामुला, श्रीनगर, अनंतनाग में एनआईए की कार्रवाई चली। जानकारी के अनुसार वॉयस ऑफ हिंद पत्रिका से जुड़े मामलों में यह कार्रवाई की गई है। टीआरएफ(द रेजिस्टेंस फ्रंट) के कमांडर सज्जाद गुल के घर पर भी अधिकारियों ने छापा मारा। ‘वॉयस ऑफ हिंद’ पत्रिका (जिसका मकसद युवाओं को उकसाना और कट्टरपंथी बनाना है) के प्रकाशन और आईईडी की बरामदगी के संबंध में जम्मू-कश्मीर में 16 जगहों पर कार्रवाई हुई। जिसमें एजाज अहमद टाक पुत्र गुलाम मोहम्मद टाक, मुदासिर अहमद अहंगर पुत्र गुलाम मोहिउद्दीन अहंगर, नसीर मंजूर मीर पुत्र मंज़ूर अहमद मीर और जुनैद हुसैन खान पुत्र मोहम्मद हुसैन खान को अचबल थाने ले जाया गया और उनसे पूछताछ की गई।

अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार टीआरएफ को मदद करने वाले हर ओवरग्राउंड वर्कर की जांच की जाएगी। यही लोग पाकिस्तानी आतंकवादियों की घाटी में दहशत फैलाने में मदद करते रहे है। द रेजिस्टेंस फोर्स का गठन पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने किया है। भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए हटाए जाने के बाद से पाक सेना ने यह साजिश रची है। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया रूप है, जिसे नए नाम से लॉन्च किया गया है। हाल ही में घाटी में हुए आतंकी हमलों की जिम्मेदारी भी रेजिस्टेंस फोर्स ने ली थी। यही नहीं जांचकर्ताओं का कहना है कि जून में 5.5 किलोग्राम आईईडी मिलने के मामले में भी टीआरएफ का ही हाथ था। यह विस्फोटक ड्रोन का इस्तेमालल करते हुए जम्मू के बठिंडी इलाके में गिराया गया था। इसके अलावा जम्मू के ही एयर फोर्स स्टेशन में हुए ड्रोन अटैक्स में भी इसका ही हाथ बताया जा रहा है।

कश्मीर घाटी में इस महीने हुई टारगेट किलिंग के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इस बीच हमले में शामिल आतंकियों की धरपकड़ के लिए पूरे कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारकर 500 से अधिक युवाओं को हिरासत में लिया गया है। इनसे पूछताछ की जा रही है। पकड़े गए युवाओं में पत्थरबाज, ओजीडब्ल्यू की संदिग्ध सूची में शामिल युवा और जमात-ए-इस्लामी व तहरीक-ए-हुर्रियत से जुड़े कैडर भी है।

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