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भारतराजनीति

यूपी चुनाव 2022 जीतने के लिए मायावती का अनोखा प्लानिंग


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लखनऊ – उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी पार्टिया अपनी पार्टी को जीत दिला ने के लिए पूरी तरह सज्ज हो चुकी है। इस बार मायावती की अगुवाई वाली BSP सरकार सभी को साथ में रखा कर UP में आने वाले विधानसभा चुनाव की प्लानिंग कुछ अलग तरह से करती हुयी दिखाई दे रही है।

बीएसपी ने काफी पहले से ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत कर पहले ही जाहिर कर दिया है कि पार्टी में इस बार उन्हें 2007 की तरह तवज्जो मिलने जा रही है। यूपी की राजनीति में अलग राह चलने वाली बहुजन समाजपार्टी भी अब अन्य राजनीतिक पार्टियों की राह पर चलने जा रही है। पहली बार 31 सालों में बसपा बदली नजर आ रही है। चुनावी लाभ लेने के लिए लोक लुभावने वायदे कर रही है। किसी समय तिलक तराजू और तालवार…का नारा देने वाली बसपा अब सर्वसमाज की बातें कर रही है। भाजपा की तरह सत्ता में आने पर धार्मिक एजेंडे को भी धार देने की बात कर रही है।

बसपा अमूमन घोषणा पत्र नहीं जारी करती है और न ही यह बताती है कि वह सत्ता में आने पर क्या करेगी, लेकिन इस बार मायावती यह साफ कर रही हैं कि वह क्या करेंगी। प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी के समापन पर सभी संस्कृत स्कूलों को सरकारी सुविधाएं देने, वित्तविहीन शिक्षकों के लिए आयोग बनाने और तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाने का वादा तो किया ही साथ में यह भी साफ कर दिया कि अब वो सत्ता में आने पर स्मारक, पार्क व संग्रहालय नहीं बनवाएंगी यह भी साफ कर दिया और यह भी कह दिया कि अयोध्या, काशी व मथुरा का विकास कराएंगी।

पार्टी ब्राह्मणों के अलावा काफी संख्या में मुसलमानों को भी टिकट देकर चुनाव में उतार सकती है। वहीं, 87 रिजर्व सीटें एससी/एसटी के खाते में जानी ही है। इसके अलावा कुछ और सीटों पर भी उन्हें टिकट मिल सकता है। इस तरह बीएसपी इस चुनाव में ब्राह्मण-मुस्लिम-दलित फॉर्म्युले के साथ उतरेगी। इस बार बसपा ब्राह्मणों को पार्टी में तवज्जो देते हुए वोटरों को एकजुट करने में लगी है। पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र की अगुआई में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन हो रहे है, तो उनकी पत्नी भी प्रबुद्ध वर्ग महिला सम्मेलन कर रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पहले चरण के सम्मेलनों का समापन खुद मायावती ने किया। इसमें उन्होंने हर विस क्षेत्र में एक हजार सक्रिय प्रबुद्ध वर्ग कार्यकर्ता तैयार करने का आह्वान किया। इस दौरान ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ जैसे 2007 वाले नारे भी लगे। अमूमन मीडिया से दूरी बनाए रखने और समय-समय पर उसे कोसने वाली बसपा अब सोशल मीडिया का सहारा ले रही है। मायावती हर मुद्दे पर अब ट्वीट कर अपनी बात कह रही हैं। इतना ही नहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र बकायदे पीआर एजेंसी लगाए हुए है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके पीछे क्या मकसद है।

दलित बीएसपी का परंपरागत वोटर है। खराब से खराब हालत में भी बीएसपी को 18-20 फीसदी वोट मिले तो इसमें सबसे ज्यादा योगदान दलितों का ही रहा। यही वजह है कि ब्राह्मण सम्मेलन करने के बावजूद मायावती यह कहना नहीं भूलतीं कि दलितों ने पार्टी का बुरे वक्त में भी साथ दिया। उन्होंने चुनाव से पहले ही यह ऐलान भी कर दिया है कि उनका उत्तराधिकारी दलित ही होगा। कई साल बाद कांशीराम की पुण्यतिथि पर वह लखनऊ में बड़ा आयोजन करने जा रही हैं। इसके जरिए वह बताएंगी कि दलितों का पार्टी में क्या स्थान है। रिजर्व सीटें जीतने के लिए अभी से भीमराव अम्बेडकर और अन्य दलित नेताओं को आगे करके सभाएं की जा रही है।

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