बिना पैन कार्ड के आधार कार्ड से भी अब भर पाएंगे TDS फॉर्म 15G या 15H
नई दिल्ली – हम सभी जानते है की बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट से आने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आता है। अगर बैंक FD से सालाना ब्याज आयकर विभाग द्वारा तय की गई लिमिट से ज्यादा होता है तो इस ब्याज पर बैंक/फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन TDS काटते है।
फिर भले ही आपकी सालाना कमाई, इनकम टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट के अंदर हो। लेकिन है ये बात सच है पोस्ट ऑफिस की FD से ब्याज आय पर TDS नहीं कटता है। डिपॉजिटर को अगर TDS कटौती से बचना है तो उन्हें फॉर्म 15G और 15H भरना जरूरी है। इन दोनों फॉर्म को भरने के लिए पैन (PAN) जरूरी है लेकिन अगर पैन नहीं है तो आधार से भी काम चलाया जा सकता है। क्यूंकि आधार कार्ड न केवल सरकारी योजनाओं के लिए बल्कि वित्तीय सेवाओं के लिए भी आवश्यक है। यह बैंक खातों, वाहनों और बीमा पॉलिसियों आदि से भी जुड़ा हुआ है। आधार कार्ड में व्यक्ति का नाम, जन्म तिथि, लिंग, पता और फोटोग्राफ सभी आवश्यक दस्तावेजों का विवरण होता है।
बैंक FD से सालाना 40000 रुपये तक की सीमा के अंदर ब्याज आय होने पर TDS से छूट का प्रावधान है। यह लिमिट 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए है। 60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजंस के मामले में सेविंग्स अकाउंट, FD/TD, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, को-ऑपरेटिव बैंकों में किए गए किसी भी तरह के डिपॉजिट से एक वित्त वर्ष में हासिल होने वाला 50000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री है।
करदाता की बैंक FD से सालाना ब्याज आय 40000 रुपये (सीनियर सिटीजन के लिए 50000 रुपये) से अधिक है लेकिन कुल सालाना आय (ब्याज आय मिलाकर) उस सीमा तक नहीं है। तब टैक्स के दायरे में आए तो बैंक TDS नहीं काट सकते। इसके लिए सीनियर सिटीजन को बैंक में फॉर्म 15H जमा करना होता है। वहीं जो लोग सीनियर सिटीजन नहीं हैं, उन्हें फॉर्म 15G जमा करना होता है। इस फॉर्म के भरने से करदाता को ये फायदा मिलता है की व्यक्ति की सालाना आय एक वित्त वर्ष में तय मिनिमम एग्जेंप्ट आय से ज्यादा नहीं है। टैक्स न कटे, इसके लिए इन फॉर्म को हर साल वित्त वर्ष की शुरुआत में जमा करना होता है।
15G के फॉर्म तहत लाभ सिर्फ 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति या HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) या ट्रस्ट या अन्य असेसरी इस फॉर्म को भर सकते है। लेकिन यह कंपनियों या फर्म के लिए नहीं है। इसे केवल भारतीय निवासी भर सकते है। आपके पास स्थायी खाता संख्या (पैन) होनी चाहिए। आपका कुल आय पर टैक्स शून्य होना चाहिए। साथही में फिक्स्ड डिपॉजिट से कुल ब्याज आय तय एग्जेंप्शन लिमिट के अंदर होनी चाहिए। 15H के फॉर्म तहत लाभ 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले व्यक्ति इस फॉर्म को जमा करने के लिए पात्र है। उनका एक भारतीय निवासी होना जरूरी है। उनका स्थायी खाता संख्या (पैन) होना चाहिए और कुल आय पर टैक्स शून्य होना चाहिए। ये न नहले की उनकी फिक्स्ड डिपॉजिट से कुल ब्याज आय तय एग्जेंप्शन लिमिट के अंदर होनी चाहिए।
सरकार कुछ कामों के लिए PAN-आधार इंटरचेंजेबिलिटी को लागू कर चुकी है। इनमें फॉर्म 15G/15H भी शामिल है। 6 नवंबर 2019 को जारी नोटिफिकेशन के जरिए यह संशोधन किया गया है कि फॉर्म 15G/15H में या तो पैन या तो आधार नंबर का उल्लेख किया जा सकता है। टीडीएस कटौती से बचने के लिए फॉर्म 15G/15H में पैन की जगह आधार नंबर तभी दें, जब या तो पैन-आधार लिंक हों या फिर पैन हो ही न। वर्ना आप इस सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते।
अगर पैन है और यह आधार से लिंक नहीं है और आपने फॉर्म 15G/15H में पैन की जगह आधार नंबर का उल्लेख कर दिया तो आपको दूसरा पैन जनरेट हो जाएगा। ऐसी स्थिति में आपके दो पैन हो जाएंगे। एक व्यक्ति को एक से अधिक पैन रखने की अनुमति नहीं है। यह एक दंडनीय अपराध है। दो पैन होने की स्थिति में व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है और 10000 रुपये का जुर्माना लग सकता है। ये बात आपको ये दोनों फॉर्म भरते वक़्त ध्यान में रखनी बेहद जरूरी है। नहीं तो आपको जुर्माना भरना पड सकता है।
अगर आप वक्त पर अपना फॉर्म 15G या 15H सबमिट करना भूल गए हैं तो ऐसे में बैंक TDS काट लेते हैं। काटे गए TDS को क्लेम करने के लिए टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा। बैंक या अन्य डिडक्टर रिफंड नहीं करते हैं क्योंकि वे TDS आयकर विभाग को जमा कर चुके होते है, रिटर्न फाइल करने पर आयकर विभाग रिफंड देता है।