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भारत में पहली बार ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी देखा गया


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राजस्थान – भारत में पहली बार ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी देखा गया है। यह दुर्लभ पक्षी अब तक दुनिया में सिर्फ तीन बार ही दिखा है। इस बार राजस्थान के उदयपुर जिले के 2 बर्ड वॉचर भानु प्रताप सिंह और विधान द्विवेदी ने इसे देखा है। दोनों ने भारत में पहली बार इस किंगफिशर की साइटिंग डांगियों की हुंदर गांव स्थित रेड सैल्यूट फार्म में की थी, जबकि इसका घोंसला गांव के ही तालाब पर मिला है। यह पक्षी विश्व में पहली बार यूनाइटेड किंगडम और दूसरी बार ब्राजील में देखा गया था। तीसरी बार भारत में दिखा है।

भानु प्रताप सिंह और विधान द्विवेदी ने बताया कि इसे 3 अगस्त की सुबह 6.19 बजे पहली बार देखा गया। इसके बाद उन्होंने इस किंगफिशर के फोटो और वीडियो क्लिक कर इसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। साथ ही इसके घोंसले की भी तलाश की गई। तीन-चार दिनों की खोज के बाद इसके यहीं रहने की पुष्टि हुई। तब इन्होंने पक्षी विशेषज्ञों से संपर्क कर इसकी साइटिंग के बारे में जानकारी जुटाई। उन्होंने विशेषज्ञों की सहायता से रिसर्च पेपर तैयार कर इंडियन बर्ड वेबसाइट पर इसे भेजा।

डॉ. सत्यप्रकाश मेहरा ने बताया कि जिस तरह से मनुष्यों में सफेद दाग या सूर्यमुखी होते हैं उसी तरह से अन्य जीवों का एल्बिनो और ल्यूसिस्टिक होना भी एक तरह की बीमारी है। इसमें भी एल्बिनो में तो पूरी तरह जीव सफेद हो जाता है और आंखें लाल रहती हैं। इसी प्रकार ल्यूसिस्टिक में शरीर के कुछ भाग जैसे आंख, चोंच, पंजों और नाखून का रंग एक जैसा रहता है और अन्य अंग सफेद हो जाते हैं।

भानु प्रताप सिंह और विधान द्विवेदी ने बताया कि दुर्लभ किंगफिशर के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी एकत्र करने के बाद शोध पत्र को इंडियन बर्ड वेबसाइट में इस खोज को प्रमाणित करने के लिए भेजा था। वहां से दो दिन पहले ही उनकी इस खोज को प्रमाणित किया है। बताया गया है कि ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की भारत में यह पहली और विश्व में तीसरी साइटिंग है।

उदयपुर को विश्व में तीसरी बार और भारत में पहली बार साइटिंग का गौरव प्राप्त होने पर ग्रीन पीपल सोसायटी के राहुल भटनागर, वागड़ नेचर क्लब के डॉ. कमलेश शर्मा, विनय दवे सहित स्थानीय पक्षी प्रेमियों ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की साइटिंग ने इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता पर मुहर लगा दी है।

राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक और भरतपुर के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सत्यप्रकाश मेहरा ने भी ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की उदयपुर में साइटिंग को भारत की पहली साइटिंग बताया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भरतपुर के घाना पक्षी अभयारण्य में साल 1991 में एल्बिनो कॉमन किंगफिशर की साइटिंग रिपोर्टेड है। उदयपुर की जैव विविधता के बीच ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की साइटिंग वास्तव में उपलब्धि है। इसे शोध पत्रिकाओं में स्थान मिलना ही चाहिए।

इधर, उदयपुर के पक्षी विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक डॉ. सतीश शर्मा ने ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर की साइटिंग पर खुशी जताते हुए कहा कि शहर और आसपास की प्रदूषण मुक्त आबोहवा के कारण दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की भी साइटिंग हो रही है।

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