x
भारत

जानिये सरकार के मुताबिक कौन आता है बेरोजगार की व्याख्या में


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

नई दिल्ली – बेरोजगारी देश की सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है। देश में हर रोज कई लोग बेरोजगारी का शिकार बनते जा रहे है। बेरोजगारी की वजह से देश और समाज को मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है। आप जानते है कोरोना काल में भी बेरोजगारों की संख्या में इजाफा भी हो गया है।

कोरोना की वैश्विक महामारी की वजह से कई प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगो को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा। इस मुश्किल वक़्त में उन्हें नौकरी में से निकले आने की वजह से काफी मुश्केलियो का सामना करना पड़ा। बेरोजगारी के कारणों में सरकार की नीतियों से लेकर कई फैक्टर शामिल होते है। बेरोजगारी भी कई तरह की होती है, जो अलग अलग मानकों पर निर्भर करती है। क्या आप जानते है सरकार की ओर से किस व्यक्ति को बेरोजगार माना जाता है। उसके आधार पर ही बेरोजगारी की दर आदि की गणना की जाती है।

पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर में बेरोजगारी की दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के मुताबिक, सभी उम्र के लिए भारत की बेरोजगारी दर अक्टूबर-दिसंबर 2020 में बढ़कर 10.3 प्रतिशत हो गई, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 7.9 प्रतिशत थी। सर्वेक्षण के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में सभी उम्र के लिए श्रम बल की भागीदारी दर में भी वृद्धि देखी गई।

सरकार किसे बेरोजगार मानती है, यह हर राज्य सरकार के नियमों पर निर्भर करता है। कौन बेरोजगार है, इसका अंदाजा सरकारों की ओर से बेरोजगारी भत्ता दिए जाने वाली शर्तों के आधार पर तय किया जा सकता है, जो अलग अलग होते है। जिन लोगों को सरकार बेरोजगारी भत्ता देती है, तो माना जा सकता है कि वो अभी बेरोजगार है। सामान्य तौर पर जिन लोगों के पास अभी संगठित और असंगठित क्षेत्र में कोई काम नहीं है और वो पिछले 6 महीने से काम की तलाश कर रहे है और फिर भी उन्हें काम नहीं मिला है तो उन्हें बेरोजगार की श्रेणी में गिना जाता है। बेरोजगारी भी सिर्फ एक तरह की नहीं होती है। कई अलग अलग प्रकार की होती है।

चक्रीय बेरोजगारी :
चक्रीय या मांग में कमी के कारण बेरोजगारी तब होती है, जब अर्थव्यवस्था को कम श्रम शक्ति की आवश्यकता होती है। इस वक्त लोगों के पास रोजगार कम हो जाता है और बेरोजगारों की संख्या में इजाफा हो जाता है और ऐसी बेरोजगारी ही चक्रीय बेरोजगारी होती है।

मौसम बेरोजगारी :
यह बेरोजगारी एक साल में किसी विशेष समय में होती है तो इसे मौसमी बेरोजगारी कहते है। ऐसी बेरोजगारी कृषि, पर्यटक, होटल आदि के सेक्टर शामिल है।

सरंचनात्मक बेरोजगारी :
सरंचनात्मक बेरोजगारी उस समय होती है, जबकि किसी व्यक्ति की योग्यता उसके कार्य की आवश्यकता के लिए पर्याप्त नहीं होती। यह मांग के स्वरूप में दीर्घकालीन परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है और अर्थव्यवस्था की मौलिक सरंचना को परिवर्तित कर देती है, इस बेरोजगारी पर नियंत्रण करना आवश्यक होता है।

संघर्षात्मक बेरोजगारी :
संघर्षात्मक बेरोजगारी उस समय होती है, जब कोई व्यक्ति एक रोजगार को छोड़कर दूसरे रोजगार की तलाश में होता है। इसके अलग अलग कारण हो सकते है, जैसे- अच्छे रोजगार की तलाश, वर्तमान रोजगार से निकाले जाने पर, अपनी इच्छा से वर्तमान रोजगार छोड़ने पर। ऐसे में दूसरे रोजगार को प्राप्त करने में व्यक्ति को कुछ समय लग जाता है।

Back to top button