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गांधी जयंती पर पीएम मोदी समेत कई नेताओंने महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि


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नई दिल्ली – आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। आज ही के दिन 1869 में गुजरात के पोरबंदर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था।

हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर चिह्नित की जाती है। भारत सहित कई देश उनकी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते है। अहिंसा के बल पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर करने वाले महात्मा गांधी का पूरा जीवन ही प्रेरणा से भरा हुआ है। भारत आज (शनिवार) 152वीं गांधी जयंती मना रहा है। पीएम मोदी ने भी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज नेताओं ने बापू को जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्विटर पर लिखा ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी जन्म-जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। पूज्य बापू का जीवन और आदर्श देश की हर पीढ़ी को कर्तव्य पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता रहेगा। गांधी जयंती पर मैं आदरणीय बापू को नमन करता हूं। उनके महान सिद्धांत विश्व स्तर पर प्रासंगिक है और लाखों लोगों को ताकत देते है।

मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था। वह एक वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे, जिन्होंने भारत के ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन शुरू किया था। भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। 12 अप्रैल 1919 को अपने एक लेख मे।

गांधीजी को बापू सम्बोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। 1915 में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, श्रमिकों और नगरीय श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में दरिद्रता से मुक्ति दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये लवण कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से विशेष विख्याति प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें कारागृह में भी रहना पड़ा।

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