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डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण निदान से 18 साल पहले देते हे दस्तक


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नई दिल्ली – मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत भी कमज़ोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौनसा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द तक नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगता है और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है।

मनोभ्रंश के लक्षणों आमतौर पर बुढ़ापे में लोगों को प्रभावित करता है। डिमेंशिया एक सामान्य बीमारी है। यह अन्य बीमारियों के कारण हो सकता है। यह कोई विशिष्ट या एकल बीमारी नहीं है, बल्कि इसमें कई अन्य चिकित्सीय स्थितियां शामिल हैं। अल्जाइमर प्रगतिशील मनोभ्रंश का सबसे आम कारण है। वैज्ञानिक खोज से पता चलता है कि इसका जल्द पता लगाया जा सकता है। यह न केवल हमें संभावित स्थिति के बारे में जागरूक होने में मदद करता है, बल्कि हमें अपने मस्तिष्क के स्वास्थ्य और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी प्रेरित करता है।

मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है। ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव को प्रभावित करते है। एलसायमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की अन्य किस्में है- नाड़ी संबंधी डिमेंशिया, लुई बाड़िस वाला डिमेंशिया तथा फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल है। मनोभ्रंश की बात आती है, तो यह बताना असंभव है कि बीमारी का खतरा किसे अधिक है। हालांकि, 2,000 से अधिक लोगों से जुड़े एक अध्ययन से पता चला है कि स्मृति और सोच परीक्षण उन लोगों में अंतर प्रकट कर सकते है जो निदान से 18 साल पहले तक अल्जाइमर रोग विकसित करते है।

सभी जातीय वर्गों के लोगों तथा ह र प्रकार की बौद्धि क्षमता वाले लोगों को मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) हो सकता है। हालांकि यह 65 की आयु से अधिक वाले लोगों में ज्यादा सामान्य है, यह 45 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले लोगों को भी प्रभावित कर सकता है। जब व्यक्ति में लक्षण नज़र आने शुरू होते हैं तो आस-पास के लोग–परिवार-वाले, दोस्त और प्रियजन, सहकर्मी, पडोसी–यह समझ नहीं पाते कि व्यक्ति इस अजीब तरह से क्यों पेश आ रहा है। कभी व्यक्ति परेशान या भुलक्कड लगता है, तो कभी सहमा हुआ, तो कभी झुन्झुलाया हुआ या बेकार गुस्सा करता हुआ। परिवार वाले इन लक्षणों को सामान्य बुढ़ापा समझ कर नज़र-अंदाज़ करने की कोशिश करते हैं, पर मनोभ्रंश का होना उम्र बढ़ने का सामान्य अंग नहीं है। मनोभ्रंश के लक्षण बीमारी के कारण उत्पन्न होते है। मनोभ्रंश से प्रभावित व्यक्ति में, रोग के बढते साथ ज्यादा और अधिक गंभीर लक्षण नज़र आते है।

13 से 18 साल पहले पूरे किए गए परीक्षण के अनुसार, यह पाया गया कि संज्ञानात्मक परीक्षणों में कम स्कोर संभावित मनोभ्रंश के 85 प्रतिशत अधिक जोखिम से जुड़ा था। यह यह भी इंगित करता है कि निदान से कई साल पहले अल्जाइमर रोग का विकास शुरू हो सकता है। मनोभ्रंश के लक्षणों के विभिन्न रूप हो सकते है। कुछ को संज्ञानात्मक परिवर्तनों द्वारा परिभाषित किया जा सकता है।

संज्ञानात्मक परिवर्तनों से जुड़े लक्षण :

  • याददाश्त में कमी
  • शब्दों को खोजने या वाक्य को पूरा करने में कठिनाई
  • समस्याओं को हल करने में असमर्थता
  • समन्वय में कठिनाई
  • भ्रम की स्थिति

मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से जुड़े लक्षण :

  • अवसाद
  • व्यक्तित्व में बदलाव
  • व्यामोह
  • मतिभ्रम
  • चिंता

वृद्ध होने से आपको अल्जाइमर रोग होने का अधिक खतरा होता है, विशेषज्ञों का दावा है कि नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन और खुश रहने से जोखिम कम किया जा सकता है। नियमित रूप से वर्कआउट करना और खुद को फिट रखने से आपको डिमेंशिया होने का खतरा कम होता है और तनाव और चिंता भी दूर रहती है। यह बदले में हृदय रोगों और अन्य पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करता है। अपने पारिवारिक चिकित्सक (जी पी) से संपर्क करें और अपनी चिंताओं पर विचार-विमर्श करें। सम्पूर्ण शारीरिक, तंत्रिका-विज्ञान संबंधी और सामाजिक जांच के लिए अनुरोध करें। अपनी निरीक्षण मुलाकात से पहले समस्याओं की सूची को लिखें और निरीक्षण मुलाकात के लिए अपने साथ किसी को ले जायें। आपका जी पी रोगनिदान को प्रमाणित करने में सहायता के लिए किसी विशेषज्ञ के लिए अनुरोध कर सकता/सकती है।

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