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निवेशकों के लिए पसंदीदा है ये फंड और जोखिम काफी कम होता है


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नई दिल्ली – बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या डायनामिक एसेट एलोकेसन फंड (Dynamic Asset Allocation Or Balanced Advantage Fund) काफी समय से निवेशकों के लिए पसंदीदा फंड रहा है. अगस्त में लॉन्च हुए एसबीआई बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (SBI Balanced Advantage Fund) के NFO में रिकॉर्ड निवेश के बाद से बैलेंस्ड फंड की ओर निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ा है, SBI Balanced Advantage Fund के NFO में उस दौरान 14,551 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। एसबीआई की यह स्कीम एक हाइब्रिड स्कीम थी और इसमें निवेश किया गया पैसा डेट और इक्विटी दोनों में ही लगाया जाता है। अगस्त में लॉन्च हुए एसबीआई बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (SBI Balanced Advantage Fund) के NFO में रिकॉर्ड निवेश के बाद से बैलेंस्ड फंड की ओर निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ा है।

अगर आप नए निवेशक हैं तो आपके लिए बैलेंस्ड एडवांटेज फंड एक अच्छी शुरुआत हो सकती है, दरअसल, इसमें निवेश से आप शेयर बाजार के जोखिम से बच सकते हैं। हालांकि इस कैटेगरी के फंड में निवेश करने से पहले निवेशकों को अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए. बता दें कि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश के जरिए लॉन्ग टर्म में अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. मार्केट के जानकार म्यूचुअल फंड में एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करके लंबी अवधि में अच्छा खासा फंड इकट्ठा किया जा सकता है।

फंड मैनेजर बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश की गई रकम का इस्तेमाल इक्विटी में 70 से 80 फीसदी तक निवेश करते हैं, वहीं दूसरी ओर डेट में भी यह आंकड़ा 70 से 80 फीसदी तक जा सकता है, यही वजह है कि बैलेंस्ड एडवांटेज फंड निवेश के लिए दूसरे फंड के मुकाबले काफी आकर्षक है। बता दें कि शेयर बाजार में होने वाले उठापटक को देखते हुए फंड मैनेजर इक्विटी या फिर डेट में निवेश करते है,इस फंड को एक साल के अंदर भुनाने पर 15 फीसदी का कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है, 1 लाख रुपये से ज्यादा के कैपिटल गेन्स पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा. बता दें कि मार्केट में म्यूचुअल फंड हाउस की ओर से काफी स्कीम उपलब्ध हैं. निवेशकों को इनके बीच सही स्कीम का चुनाव करने के लिए काफी दुविधा रहती है।अलग-अलग कैटेगरी में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के ढेर सारे फंड्स की मौजूदगी से निवेशक के लिए फैसला लेना काफी मुश्किल हो जाता है।

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