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पाकिस्तान की आतंकियों से मिलीभगत से अमेरिका को हुआ नुकसान


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दिल्ली – ‘अमेरिकियों का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा तालिबान को दिए गए समर्थन की वजह से ही अफगानिस्तान में अमेरिकी प्रतिष्ठा चकनाचूर हुई है। इसके मुख्य कारणों में से एक यह है कि पाकिस्तान में तालिबान को अभेद्य अभयारण्य मिल गया था।’

अमेरिकी सांसदों ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को घेरा था। इस दौरान ब्लिंकन सांसदों की इस बात पर सहमत हुए कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका संदिग्ध रही है और अमेरिका रिश्तों की समीक्षा करेगा। उन्होंने माना कि पाकिस्तान ने हक्कानी के आतंकियों सहित तालिबान को पनाह दी है। स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की यह मिलीभगत अमेरिकी हितों के खिलाफ रही।

गौरतलब है कि पाकिस्तान उन देशों में से एक है जिसे अमेरिका ने एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी की दर्जा दिया था। पाकिस्तान अमेरिका द्वारा दंडित किए जाने के खतरे से अवगत है। यही कारण है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने वॉशिंगटन से पाकिस्तान को ‘बलि का बकरा’ नहीं मानने के लिए कहा है।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान के बहाने दुनिया को ब्लैकमेल करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि तालिबान 20 साल बाद सत्ता में आया है। उसे देश चलाने के लिए पैसे चाहिए। विदेशी बैंकों में जमा अफगान केंद्रीय बैंक के अनुमानित 74 हजार करोड़ रुपए का फंड अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने फ्रीज कर रखा है। इमरान ने ये बातें एक इंटरव्यू में कही। उन्होंने कहा कि अगर तालिबान एक समावेशी सरकार का गठन नहीं करता है, तो देश में गृहयुद्ध छिड़ सकता है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद ने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के इतर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा है कि वह तालिबान को मान्यता दिलाने का रोडमैप बनाए। शाह ने कहा कि अगर तालिबान अपनी उम्मीदों पर खरा उतरा तो उसे दुनिया में स्वीकार्यता मिलेगी। इसी तरह वैश्विक समुदाय को समझना होगा कि विकल्प क्या हैं? इस सच्चाई से भाग नहीं सकते। शाह ने कहा कि तालिबान को लेकर पाकिस्तान दुनिया के साथ तालमेल बैठा रहा है, ताकि अफगानिस्तान में शांति आए।

हां यह बताना जरूरी है कि जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद संभालने के छह महीने बाद भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बात नहीं की है। एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक बताते हैं कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने हाल ही में सेवानिवृत्त जनरल और राजनयिकों की मीटिंग में यह चिंता जाहिर की है कि पाकिस्तान को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

अमेरिकी राजनयिक आगे बताते हैं कि हाल के इतिहास में ‘अमेरिका को हुए सबसे चौंकाने वाले नुकसान’ का ही नतीजा है कि बाइडेन ने इस्लामाबाद से मुंह फेर लिया है। वे कहते हैं कि अमेरिकी सैनिक लौट आए हैं। ऐसे में रणनीतिक विवेक यह कहता है कि बाइडेन प्रशासन को पाकिस्तान के जनरल और राजनयिकों की वादाखिलाफी के लिए जवाबदेही तय करनी चाहिए और पाकिस्तान पर कार्रवाई करने के लिए बाइडेन प्रशासन पर अभूतपूर्व दबाव है।

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