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जानिए – महंत नरेंद्र गिरि के बारे में , क्या हे उनके मौत कारण ?


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प्रयागराज – अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष 72 वर्षीय महंत नरेंद्र गिरि, जो सोमवार को प्रयागराज में अपने बाघंबरी मठ में मृत पाए गए थे, 1983 में अपना घर छोड़ दिया था। वे 22 साल की उम्र में प्रयागराज संगम आए थे।

एक बार प्रयागराज में ऋषि-मुनियों की नगरी महंत नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के दिव्यानंद गिरि के कुशल मार्गदर्शन में आ गई। यह दिव्यानंद गिरि ही थे जिन्होंने 1985 में महंत को संन्यास की शुरुआत की और नरेंद्र गिरि नाम दिया। महंत नरेंद्र गिरि को 2014 में नासिक कुंभ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनाया गया था। 2018 में फर्जी संतों की सूची जारी करने के लिए नरेंद्र गिरि सुर्खियों में आए थे।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत ने बाघंबरी मठ को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। दो साल पहले निरंजनी अखाड़े के सचिव रहे महंत आशीष गिरी की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी।

10 अक्टूबर 2019 को प्रयागराज में ही महंत नरेंद्र गिरी की अखाड़ा परिषद की अध्यक्षता को पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था। महंत नरेंद्र गिरि बिना कुछ बोले अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते थे।

अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत की जांच पुलिस कर रही है। इस मामले में कई नए खुलासे हो रहे हैं, ताजा रिपोर्ट के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि को एक वीडियो को लेकर ब्लैकमेल किया जा रहा था, ब्लैकमेल करने में एक सीडी का इस्तेमाल किया जा रहा था. ब्लैकमेलिंग में एक पूर्व राज्यमंत्री का नाम भी आ रहा है. राज्य मंत्री रहे व्यक्ति भी जांच के दायरे में हैं।बताया जा रहा है कि पूर्व राज्यमंत्री बाघम्बरी मठ में महंत नरेंद्र गिरि से मिलने जाते थे, वो आनंद गिरि के करीबी भी रहे हैं. प्रयागराज पुलिस को कॉल डिटेल में अहम सुराग मिले हैं, पुलिस के रडार पर पूर्व राज्य मंत्री है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी साफ कर चुके हैं कि अगर इस मामले में कोई दोषी होता तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, वहीं मामले की सीबीआई जांच के लिए अधिवक्ता सुनील चौधरी की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका डाली गई है। याचिका के माध्यम से जिले के डीएम और एसएसपी को तत्काल बर्खास्त कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को सुपुर्द करने की मांग की गई है।

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