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हाल ही रिलीज हुई वेब सीरीज ‘मुंबई डायरीज : 26/11’ को खासी सराहना मिल रही है


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मुंबई – ’26/11′ के मुद्दे पर ढेर सारी डॉक्‍युमेंट्री, शोज और फिल्‍में देखी हैं। हमारा मकसद दर्शकों को ऐसे पहलू से अवगत कराना था, जो शायद मेनस्‍ट्रीम का हिस्‍सा नहीं बन पाया था। उस रात आतंकी हमले के बाद पुलिस, एनएसजी के कमांडों की तरह बॉम्‍बे जनरल अस्‍पताल के डॉक्‍टरों, नर्स, स्‍टाफों ने बतौर योद्धा ही काम किया था। समीक्षकों और जानकारों के मुताबिक, वह पहलू हमने सीरीज में पूरी डिग्निटी से रखा है।

इस सीरीज को लेकर बाकी सारे रिएक्‍शंस अमेजन प्राइम की तरफ से आने बाकी हैं। उसके बाद हम तय करेंगे कि इस सीरीज को बतौर फ्रेंचाइजी किस तरह आगे ले जाना है। वह इसलिए भी हमने सिर्फ ’26/11′ की कहानी नहीं कही थी। हमने उस बैकड्रॉप में एक मेडिकल ड्रामा पेश किया है। मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोगों की चुनौतियां एक बड़ा मसला होता है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज ‘मुंबई डायरीज : 26/11’ को खासी सराहना मिल रही है। जानकार इसके जरिए बतौर डायरेक्‍टर निखिल आडवाणी की दमदार वापसी करार दे रहें हैं। सीरीज में डॉक्‍टर कौशिक ओबेरॉय बने मोहित रैना को भी समीक्षकों ने शाबाशी दी है। निखिल और मोहित दोनों ने खास बातचीत में इस सीरीज को मिल रही प्रतिक्रियाओं, भविष्‍य की योजनाओं और शूट से जुड़ी बेहद दिलचस्‍प यादें शेयर की हैं।

आतंकी हमले का वाक्य तो दो से तीन दिनों का ही था। उस तीन दिनों के इमोशन को हमने 40 से 50 दिनों की शूट में स्‍प्रेड किया। मैंने सिंगल कॉस्‍ट्यूम में पूरी शूटिंग की है। पूरे 40 दिन सेम इमोशन को होल्‍ड किया। यह ऐसी सीरीज नहीं थी कि शूट के दौरान सेट पर हंसी मजाक किया जा सके या हंसते खेलते शूट कर दिया। यह ऐसी सीरीज थी, जिसकी कठिन परिस्थितियों में खुद को डालना पड़ता था, तब हम इमोशन ला पाते थे। एक सीन है, जिसे शायद काट दिया गया है। उसकी शूट के दौरान मैं बैठा हुआ था। निखिल सर कट कहने वाले थे। तभी उन्‍होंने मुझसे कहा कि मैं अपनी लेफ्ट साइड देखूं। मैंने देखा तो पाया कि एक नन्‍हे बच्‍चे का खून से सना चप्‍पल पड़ा था। मैं वह देख अंदर से हिल गया था। क्योंकि, तब मुझे असल में हुए आतंकी हमले की चपेट में आए किसी बच्‍चे का मंजर मेरी आंखों के सामने आ गया था।

हमने इशारों में एटीएस अफसर हेमंत करकरे की मौत से पुलिस को मिलने वाली कम सुविधाओं का मसला छुआ है। जिस सीन में पुलिस के रोल में संदेश कुलकर्णी के किरदार से कौशिक ओबेरॉय कहता है कि आपके अफसर को आतंकियों की गोली ने नहीं मारा, उन्‍हें सिस्‍टम की खामियों ने मारा है। तभी हमने पुलिस को सिंघम या सुपरहीरो की तरह नहीं दिखाया है। क्‍योंकि असल में उनके पास भी सुविधाओं की कमी है। हमने उन्‍हें रियलिस्टिकली दिखाया, तभी असल में भी हमारा शो मुंबई पुलिस को बहुत पसंद आया है।

निखिल ने कहा हमारे बैनर से अगली फिल्‍म ‘मिसेज चैटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ है। हम वह फिनलैंड की सीमा के पास एस्‍टोनिया में शूट कर रहें हैं। वह रियल लाइफ पर बेस्‍ड है। नॉर्वे की हुकूमत से हमारी नायिका टकराती है। इसकी वजह से ऐसा नहीं हुआ कि नॉर्वे ने हमें अपने यहां शूट नहीं करने दिया। उन्‍होंने तो बाकायदा हमारी अनाउंसमेंट के बाद शूट करने को खत भी लिखा था। फोन भी किया था। कहा भी था कि हम तो आर्टिस्‍टों की फ्रीडम में बहुत यकीन रखते हैं। हालांकि, तब तक हम एस्‍टोनिया कंट्री में शूट शुरू कर चुके थे।

मोहित ने मैंने साल 2016 में ही तय कर लिया था कि अब ‘देवों के देव :महादेव’ जैसे रोल नहीं करने हैं। ऐसे में मुझे उस तरह के रोल के ऑफर नहीं आ रहे थे। हालांकि, पिछले साल लॉकडाउन में वह सीरियल फिर से रीपीट हुआ, तो ऑफर आने लगे। पर अभी तो वह नहीं कर रहा। हां, ‘उरी’ के बाद मुझे हीरो के मरने वाले दोस्‍तों के रोल ज्‍यादा मिलने लगे थे। ऐसा भी नहीं है कि मैं अपनी पिछली इमेज के चलते इंटीमेट सीन नहीं करता। दरअसल, मुझे जब तक उसकी ठोस वजह समझ नहीं आएगी, मैं वैसे सीन नहीं करूंगा।

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