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भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत


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प्रयागराज – अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत की खबर सामने आई है।प्रयागराज के अल्लापुर बाघंबरी गद्दी स्थित कमरे से उनका शव बरामद किया गया. उनकी मठ में संदिग्ध हालत में मौत हो गई. हालांकि अभी तक उनकी मौत की वजह का खुलासा नहीं हो पाया है, जानकारी के अनुसार महंत नरेंद्र गिरी का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला ह। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया, जिसके बाद आईजी केपी सिंह सहित तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंचे. सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह हत्या है या आत्महत्या, इसके पीछे के कारणों पर पुलिस काम कर रही है, पुलिस ने बॉडी को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है। पुलिस के मुताबिक, उनका शव अल्लापुर में बाघंबरी गद्दी मठ के कमरे में फंदे से लटका मिला है। जांच-पड़ताल की जा रही है। पोस्टमार्टम के बाद ही घटना का कारण साफ हो पाएगा। IG रेंज केपी सिंह ने बताया कि वह मौके पर पहुंच गए हैं। फिलहाल यह फांसी लगाकर आत्महत्या का मामला लग रहा है। फॉरेंसिक टीम को घटनास्थल पर बुलाया गया है। मठ पर बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु भी पहुंच गए हैं।

महंत नरेंद्र गिरि पिछले करीब दो दशक से साधु-संतों के बीच अहम स्थान रखते थे। प्रयागराज आगमन पर बडे़ नेता हों या फिर आला पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी, वे महंत से आशीर्वाद लेने और लेटे हनुमान जी का दर्शन करने जरूर जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बांघबरी मठ पहुंचते रहे हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के हस्तक्षेप के बाद इस विवाद पर फिलहाल विराम लग गया था। इसके बाद गुरु पूर्णिमा के दिन आनंद गिरि अखाड़े में अपने गुरु की पूजा कर सके थे। अखाड़े और मठ में आनंद गिरि के प्रवेश पर लगाई गई रोक हटा दी थी। हालांकि, आनंद गिरी का अखाड़े से निष्कासन वापस हुआ या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है।

14 मई 2021 को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने आनंद गिरी को अखाड़े और बाघंबरी गद्दी से बाहर कर दिया था। उन पर अपने परिवार से संबंध रखने का आरोप लगा था। नरेंद्र गिरी ने कहा था कि बड़े हनुमान मंदिर पर आने वाले दान-चढ़ावे में से आनंद गिरी धन अपने परिवार पर खर्च कर रहे हैं। असके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वरों की सहमति के बाद आनंद गिरी पर यह कार्रवाई की गई थी। नरेंद्र गिरि ने भी आनंद गिरि पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद आनंद गिरी ने अपने गुरु के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के पास पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी और अपनी जान का खतरा बताया था।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था, लेकिन बाद में इनके बीच समझौता हो गया था। तब हरिद्वार से प्रयागराज पहुंचे आनंद गिरी अपने गुरु स्वामी नरेंद्र गिरी के पैरों पर गिरकर माफी मांग ली।आनंद बोले थे- मैं पंच परमेश्वर से भी अपने कृत्यों के लिए माफी मांग रहा हूं। मेरे द्वारा सोशल मीडिया, समाचार पत्रों, टीवी चैनलों पर जो भी बयान जारी किए गए उसे मैं वापस लेता हूं। इसके बाद महंत नरेंद्र गिरी ने भी आनंद गिरी पर लगाए गए आरोपों को वापस लेते उन्हें माफ कर दिया।

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