वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा ऐलान
नई दिल्ली – कैबिनेट बैठक के अगले दिन आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अहम बैठक हुई। आज की बैठक को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैड बैंक जिसे असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी कहते हैं उसका ऐलान किया। इस बैंक के लिए 30 हजार 600 करोड़ की गारंटी सरकार देगी। 1 फरवरी 2021 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इसकी घोषणा की थी।
The Union Cabinet yesterday approved Central Government guarantee up to Rs 30,600 crores to back Security Receipts to be issued by National Asset Reconstruction Company Limited: Finance Minister Nirmala Sitharaman pic.twitter.com/Sw12kZ7QaV
— ANI (@ANI) September 16, 2021
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले छह सालों में 5 लाख करोड़ से ज्यादा रिकवरी की गई। मार्च 2018 से अब तक 3 लाख करोड़ से ज्यादा रिकवरी की गई। एक लाख करोड़ तो केवल राइट-ऑफ कर दिए गए लोन से रिकवरी हुई है। पिछले छह सालों में बैंकों के असेट में काफी सुधार आया है। निर्मला ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से बैंकों की वित्तीय हालत में काफी सुधार हुआ है। साल 2018 में सार्वजनिक क्षेत्र के 21 में से सिर्फ दो बैंक ही मुनाफे में थे लेकिन साल 2021 में केवल दो बैंकों को घाटा हुआ।
In last six financial years, the govt's 4Rs strategy-Recognition, Resolution, Recapitalisation and Reforms- was executed, after this banks have recovered Rs 5,01,479 crores: Finance Minister Nirmala Sitharaman pic.twitter.com/0QTCsOivGW
— ANI (@ANI) September 16, 2021
भारतीय बैंक संघ यानी आईबीए को ‘बैड बैंक’ स्थापित करने का काम सौंपा गया है। प्रस्तावित बैड बैंक या एनएआरसीएल लोन के लिए सहमत मूल्य का 15 फीसदी नकद में भुगतान करेगा और बाकी 85 फीसदी सरकार की गारंटी वाली सिक्योरिटी रिसीट्स में होगा। पिछले महीने आईबीए ने एनएआरसीएल की स्थापना के लिए लाइसेंस हासिल करने के उद्देश्य से आरबीआई के पास आवेदन दिया था।
क्या होता है बैड बैंक
Bad Bank कोई बैंक नहीं है, बल्कि यह एक असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) होती है। बैंकों के डूबे कर्ज को इस कंपनी के पास ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इससे बैंक आसानी से ज्यादा लोगों को लोन से दे सकेंगे और इससे देश की आर्थिक ग्रोथ रफ्तार पकड़ेगी। आसान शब्दों में कहें तो जब कोई व्यक्ति या संस्था किसी बैंक से पैसा यानी लोन लेकर उसे वापस नहीं करता है, तो उस लोन खाते को बंद कर दिया जाता। इसके बाद उसकी नियमों के तहत रिकवरी की जाती है। ज्यादातर मामलों में यह रिकवरी हो ही नहीं पाती या होती भी है तो न के बराबर। नतीजतन बैंकों का पैसा डूब जाता है और बैंक घाटे में चला जाता है।