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कश्मीरी पंडितों की वतन वापसी! कश्मीर से विस्थापित हिन्दुओं को मिलेंगी जबरन कब्जाई गई पुश्तैनी संपत्तियां, सरकार ने लॉन्च की खास पोर्टल


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श्रीनगर – कश्मीर घाटी से विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब मजहबी उन्मादियों द्वारा जबरन कब्जाई गई पुश्तैनी संपत्तियां वापस पाना उनके लिए आसान हो जाएगा। इसी कड़ी में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विस्थापितों की आनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए पोर्टल का लोकार्पण किया। इन शिकायतों का लोकसेवा अधिकार कानून के तहत तय समय में निवारण करना होगा।

दरअसल 1990 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था। तब लाखों कश्मीरी पंडितों को अपने घर छोड़ने पडे थे। आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडितों के सामने तीन विकल्प रखे थे कि या तो वो इस्लाम कबूल कर लें, मारे जाएं या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाएं। इसके बाद कश्मीर में रहने वाले हिंदुओं को अपने ही देश में विस्थापित होना पड़ा था और ये लोग अपने ही देश में शरणार्थी बन गए थे। 31 साल पहले करीब एक लाख कश्मीरी पंडित परिवारों को अपना घर बार छोड़ना पड़ा था। इनमें से बहुत सारे लोग भारत छोड़कर भी चले गए थे। हालांकि बाद में बहुत सारे कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में बसाने की कोशिश हुई।

इसके लिए कश्मीर में अलग अलग कॉलोनियां बनाई गईं, लेकिन इनमें जगह की कमी की वजह से घर बहुत छोटे थे। नतीजा ये हुआ कि कई परिवार एक ही घर में रहने पर मजबूर हो गए। कुछ घरों में तो आज भी एक साथ पांच या उससे ज्यादा परिवार रह रहे हैं। जबकि बहुत सारे कश्मीरी पंडित ऐसे थे, जिनके घरों को जला दिया गया, उन्हें तोड़ दिया गया या फिर उन पर कब्जा कर लिया गया। इसी वजह से वो फिर कभी कश्मीर लौटने की हिम्मत नहीं कर पाए। अब जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने एक ऐसा पोर्टल लॉन्च किया है, जिस पर वो कश्मीरी पंडित रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं, जिनके घरों को आतंकवाद की वजह से नुकसान पहुंचा था या फिर उनके घर या जमीनों पर कब्जा कर लिया गया था।

सरकार ने लॉन्च की खास पोर्टल, दर्ज करा सकते है शिकायत –
इस पोर्टल पर अपनी पुश्तैनी जमीन या मकान की जानकारी देने के बाद अगले 15 दिनों के अंदर कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। तो चलिए बताते हैं कि कश्मीरी पंडितों के परिवार आज किन हालात में रहे हैं और इस नई योजना के तहत उनकी घर वापसी कैसे होगी। विस्थापितों की सम्मानजकर वापसी और पुनर्वास के प्रति सरकार की संकल्पबद्धता को दोहराते हुए सिन्हा ने कहा कि बीते 13 माह के दौरान कई मजहबी, सामाजिक, राजनीतिक प्रतिनिधिमंडलों से मिला हूं। सबने ने कश्मीर विस्थापितों की वापसी का समर्थन किया है। सुखद भविष्य की नींव के लिए पुराने जख्मों को भरने और उन पर मरहम लगाने का यही सही समय है। हम सभी को मिलकर भाईचारे की नई मिसाल कायम करनी है।

सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों को उनकी जमीनें वापस दिलाने के लिए गंभीर नजर आ रही है। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए एक खास वेब पोर्टल बनाया गया है। इसका नाम www.jkmigrantrelief.nic.in है। इस पोर्टल को कश्मीरी पंडितों की पुश्तैनी जमीन या पुश्तैनी मकान दिलवाने के लिए बनाया गया है। इसमें कब्जाई गई जमीनों को वापस पाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। दरअसल 1990 के दशक में इनकी जमीनों और मकानों पर या तो जबरन कब्जा कर लिया गया। या फिर उन्हें इसे बहुत कम दामों में बेचकर कश्मीर से भागना पड़ा था।

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