भारत के खजाने में शामिल हुआ और एक मेडल : सिल्वर मेडालिस्ट हाई जम्पर प्रवीण कुमार
नई दिल्ली – प्रवीण कुमार जिन्होंने शुक्रवार को टोक्यो पैरालिंपिक में 2.07 मीटर की सर्वश्रेष्ठ छलांग के साथ रजत पदक (टी -64) हासिल किया,प्रवीण टोक्यो खेलों में पुरुषों की ऊंची कूद में निषाद कुमार, मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार के बाद भारत के चौथे पदक विजेता हैं। वह अपने पहले प्रयास में 1.97 मीटर की दूरी तय करने से पहले 1.93 मीटर के निशान के माध्यम से बैठे, जो उन्हें पदक सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त था। प्रवीण टोक्यो पैरालिंपिक में भारत के 11वें पदक विजेता हैं। निशानेबाज अवनि लेखारा और भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल ने स्वर्ण पदक जीता है, जबकि प्रवीण पैडलर भावना पटेल, भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया, चक्का फेंक खिलाड़ी योगेश कथुनिया और ऊंची छलांग लगाने वाले थंगावेल्लू और निषाद के बाद भारत के छठे रजत पदक विजेता हैं। हे। प्रवीण ने विश्व में दूसरा स्थान पाया है। जो कि एक नया एशियन रिकॉर्ड है।
प्रवीण कुमार की उम्र सिर्फ 18 साल है, 15 मई 2003 को उनका जन्म हुआ था. प्रवीण उत्तर प्रदेश के नोएडा (Noida) के निवासी हैं,प्रवीण कुमार ने साल 2019 मेंही अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपना पर्दापण किया और अब दो साल के भीतर ही उनके नाम ओलंपिक का सिल्वर मेडल है,प्रवीण कुमार का एक पैर सामान्य रूप से छोटा है, लेकिन इसी को उन्होंने अपनी ताकत बनाया और आज इतिहास रच दिया, शुरुआत में वह वॉलीबॉल खेल चुके हैं, लेकिन बाद में हाई जंप का रुख किया ,दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में कोच सत्यपाल सिंह की अगुवाई में प्रवीण कुमार ने लगातार ट्रेनिंग ली हे।
पैरालंम्पिक में प्रवीण ने दिव्यांग होने के बावजूद रजत पदक जीतकर यह साबित कर दिया है कि अगर दिल में किसी मुकाम को पाने की ललक हो तो कुछ भी नामुमकीन नही। उनकी खेलो में रूचि एवं कड़ी मेहनत का ही फल है कि आज पैरालम्पिक पदक उनकी झोली मे है।