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1 अक्टूबर से वेतन, पीएफ, ग्रेच्युटी, काम के घंटे में होने जा रहे है कई एहम बदलाव


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नई दिल्ली – केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 1 अक्टूबर से श्रम कानून के नियमों में कई बदलाव लागू करने जा रही है। नए श्रम कानून के लागू होने के बाद कर्मचारियों के हाथ के वेतन में भी बदलाव होगा।

श्रम कानून के मसौदे के मुताबिक कर्मचारियों का मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या इससे अधिक होगा। कानून के लागू होने से अधिकांश कर्मचारियों के वेतन ढांचे पर भी असर पड़ेगा क्योंकि वेतन का गैर-भत्तों वाला हिस्सा कुल वेतन के 50 फीसदी से कम होगा। इसके अलावा कुल वेतन में अन्य भत्तों में भी बदलाव होगा। मूल वेतन में वृद्धि सीधे पीएफ को प्रभावित करेगी क्योंकि यह मूल वेतन पर आधारित है। मूल वेतन में वृद्धि से पीएफ में वृद्धि होगी, और इसके परिणामस्वरूप टेक-होम वेतन में कटौती होगी।

ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने का मतलब है कि रिटायरमेंट के बाद किसी कर्मचारी को मिलने वाली रकम में बढ़ोतरी होगी। वेतन संरचना में अधिकतम परिवर्तन उच्चतम वेतन पाने वाले कर्मचारियों द्वारा देखा जाएगा। पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत भी बढ़ेगी और कंपनियों को अब कर्मचारियों के पीएफ में ज्यादा योगदान देना होगा।

OSH कोड 15 से 30 मिनट के बीच प्रदान किए गए अतिरिक्त कार्य को 30 मिनट के लिए ओवरटाइम के रूप में गिना जाता है। वर्तमान नियम में 30 मिनट से कम समय के लिए योग्य ओवरटाइम नहीं माना जाता है। आपको बता दे की इस नए मसौदे में कर्मचारियों को बिना ब्रेक के लगातार पांच घंटे काम करने पर रोक लगाई गई है और कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधे घंटे का ब्रेक देने के निर्देश भी शामिल है।

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