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जानिए नकली COVID19 टीकाकरण प्रमाणपत्र के चल रहे घोटाले से कैसे बचे??


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नई दिल्ली – देश में कोरोना का सेकंड वेव में नए covid मामले में दर्ज गिरावट को देखते हुए कई राज्य अनलॉक हो रहा है। लॉकडाउन में छूट दी जा रही है। Covid19 से संबंधित लॉकडाउन मानदंडों में ढील के कारण कुछ बाजारों और अन्य स्थानों पर भीड़ हो गई है। राज्य में अनलॉक प्रक्रिया के तहत सरकारी और निजी ऑफिसों को पूरी तरह से काम करने की इजाजत दी गई है। लेकिन महामारी के चलते कई कंपनियां अपने कर्मचारियों से टीकाकरण का सबूत मांग रही है।

जिन लोगों ने अपनी वैक्सीन की खुराक ले ली है, उन्हें कोई समस्या नहीं है। लेकिन दुनिया भर में कई संशयवादियों और एंटी-वैक्सएक्सर्स को यह साबित करने में असमर्थता के कारण समस्या है कि वे टीका लगाए गए है। ऐसे लोग अपनी नौकरी बचाने के लिए फर्जी टीकाकरण प्रमाणपत्र मांग रहे है। COVID-19 वैक्सीन प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्यालय या विश्वविद्यालय में कौन आ सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ लोग सिस्टम का फायदा उठा रहे है। अधिकांश लोगों ने स्वीकार किया है कि उपलब्ध किसी भी COVID-19 टीके का टीका नहीं लगाने का उनका निर्णय एक वैध चिकित्सा कारण के कारण नहीं था।

कई लोगो का मानना है कि टीका कुछ दुष्प्रभाव के साथ आ सकती है जो उनके स्वास्थ्य को प्रमुख रूप से प्रभावित करती है। फेसबुक और इसी तरह के अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर टीकाकरण विरोधी समूह लोगों को टेलीग्राम समूहों में भेज रहे है जो साइबर सुरक्षा फर्म चेक प्वाइंट के शोधकर्ताओं के अनुसार नकली टीकाकरण कार्ड और प्रमाण पत्र प्रदान करते है।

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