हरिकोटा – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पृथ्वी की निगरानी करने वाले सैटेलाइट ‘EOS-03’ का गुरुवार सुबह सफलतापूर्वक प्रक्षेपण तो कर दिया गया लेकिन आगे ये मिशन फेल हो गया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से इस अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS) को सुबह 5:43 बजे प्रक्षेपित किया गया। इसके बाद इसके बाद सारे स्टेज सही समय पर अलग होते चले गए। लेकिन, क्रोयोजेनिक इंजन के आंकड़े मिलने बंद हो गए।
#WATCH | Indian Space Research Organisation's GSLV-F10 lifts off successfully from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota (Source: DD) pic.twitter.com/2OV8iA06Xf
— ANI (@ANI) August 12, 2021
जिसके बाद इस मिशन के आंशिक रूप से फेल होने की घोषणा की गई। लॉन्च के कुछ देर बाद ISRO चीफ के सिवन ने कहा कि क्रायोजेनिक स्टेज में हुई तकनीकी खराबी के कारण ISRO का GSLV-F10/EOS-03 मिशन पूरी तरह से पूरा नहीं हो सकी। उधर स्पेसफ्लाइट नाउ के अनुसार, ISRO ने पुष्टि की है कि जीएसएलवी एमके 2 लॉन्च आज ‘क्रायोजेनिक स्टेज के दौरान पर्फॉर्मेंस में तकनीकी खराबी’ के कारण असफल रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के बाद से किसी भारतीय लॉन्च में यह पहली असफलता है। ISRO ने बताया कि सैटेलाइट का पूरा सफर 18.39 मिनट का था।
Due to a technical anomaly observed in the cryogenic stage, @isro's GSLV-F10/EOS-03 Mission could not be fully accomplished: ISRO Chairman K Sivan#GSLVF10 #EOS03 pic.twitter.com/T8Em57jJYc
— DD News (@DDNewslive) August 12, 2021
इस सैटेलाइट को ‘आई इन द स्काई’ कहा जा रहा है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया था कि EOS की खासियत यह है कि यह चिन्हित किए गए किसी बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय की तस्वीरों को एक निश्चित अंतराल पर भेजता रहेगा। उन्होंने कहा था कि यह प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ किसी भी तरह की अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद करेगा।
इस सैटेलाइट के जरिए कृषि, वानिकी, जल निकायों के साथ-साथ आपदा चेतावनी, चक्रवात निगरानी, बादल फटने या आंधी-तूफान की निगरानी सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग में लाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी देने का दावा किया जा रहा था. इसके साथ ही देश की सीमाओं की तस्वीर भी वास्तविक समय पर उपलब्ध करानेगा दावा किया गया था।