Rabindranath Tagore Death Anniversary: तीन देशों के राष्ट्रगान के रचयिता एवं महान सहित्यकार
नई दिल्ली – गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर दुनिया में ऐसे विरले रचनाकार हैं जिन्होंने तीन देशो के राष्ट्रगान की रचना की। टैगोर ने 7 अगस्त, 1941 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। आज उनकी पुण्यतिथि के मोके पर कई राजनेताओ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
My respectful tributes to the poet extraordinaire, Gurudev Rabindranath Tagore on his Punya Tithi today. He was a multifaceted genius- a philosopher, social reformer, educationist, playwright, painter & composer. #RabindranathTagore pic.twitter.com/JBAGjPgHSe
— Vice President of India (@VPSecretariat) August 7, 2021
मूर्धन्य साहित्यकार और देश को पहला नोबेल पुरस्कार दिलाने वाले महान कवी रवींद्रनाथ टैगोर थे। लेकिन उनके नाम आज भी हर किसी के मन में कायम है। टैगोर अपने माता-पिता की 13वीं संतान थे। बचपन में उन्हें प्यार से ‘रबी’ बुलाया जाता था। एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मे टैगोर ने महज 8 साल की उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उनकी पहली कविता संग्रह 16 साल की उम्र में प्रकाशित हुआ। साहित्य के अलावा चित्रकला और संगीत के क्षेत्र में भी महारत रखने वाले टैगोर की गीतांजलि, चोखेर बाली, गोरा, घरे बाइरे, काबुलीवाला और चार अध्याय समेत ढेरों बेहद चर्चित रचनाएं है। टैगोर ने बांग्ला भाषा में जन गण मन लिखा था जो बाद में भारत का राष्ट्रगान बना। बांग्लादेश के राष्ट्रगान आमान सोनार बंगला भी उन्हीं की कविता से ली गई। आमान सोनार बंगला’ गीत 1905 में लिखा गया था | तीसरा देश श्रीलंका जिसके राष्ट्रगान में भी उनकी अमिट छाप दिखती है। ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं कि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी उनकी कविता से प्रेरित है।
राष्ट्रगान के रचयिता एवं महान सहित्यकार गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर जी के स्मृति दिवस पर उन्हें सादर नमन।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 7, 2021
रविंद्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती, यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। जिसमें श्रीलंका (तब सीलोन) के आनंद समरकून अध्ययन करने आए. टैगोर से प्रभावित आनंद 6 महीने बाद जब अपने देश वापस लौटे और उन्होंने ‘श्रीलंका माथा’ की रचना की जो बाद में श्रीलंका का राष्ट्रगान बना।