नई दिल्ली – बड़ी कंपनियों की तरह अब सूक्ष्म, लघु एवं मझोली इकाइयों (एमएसएमई) की भी रेटिंग होगी। इससे उन्हें अपने कारोबार के लिए वित्तीय इंतजाम करने में आसानी होगी और विदेशी निवेशक उनमें पूंजी लगा सकेंगे। सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन, बायोगैस जैसे ग्रीन सेक्टर में एमएसएमई को प्रोत्साहित करने की योजना भी तैयार की जा रही है।
वित्तीय संस्थान ग्रीन सेक्टर में काम करने वाली एमएसएमई को प्राथमिकता के आधार पर लोन देंगे। केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के लोन आवेदन पर फैसला लेने में देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। एमएसएमई को होने वाले भुगतान की समस्या को दूर करने के लिए भी एमएसएमई मंत्रालय स्थायी समाधान खोज रहा है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जीएसटी और इनकम टैक्स रिकॉर्ड के आधार पर एमएसएमई की रेटिंग की जा सकती है। सभी जिलों में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के सहयोग से यह हो सकता है। एक निर्धारित तरीके से सीए एमएसएमई की रेटिंग करेंगे। रेटिंग होने से एमएसएमई को वित्तीय संस्थानों से लोन मिलने में आसानी होगी।
गडकरी ने कहा कि अधिकारियों को जटिल स्कीम की जगह सरल स्कीम तैयार करना चाहिए ताकि उद्यमियों को आसानी से उसका लाभ मिल सके। अभी देश के सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई का योगदान 30 फीसद है जिसे बढ़ाकर 40 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। वैसे ही निर्यात में एमएसएमई के 48 फीसद के योगदान को 60 फीसद पर ले जाने का लक्ष्य है।