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फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर रैकेट के मास्टरमाइंड 3 लोग गिरफ्तार


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नॉएडा – उत्तर प्रदेश से आये दिन किसी न किसी खबरों से ज्यादातर सुर्खियों में ही रहता हैं। हालही में नोएडा पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने अवैध टेलीकॉम एक्सचेंज का भंडाफोड़ कर 3 लोगों को गिरफ्तार किया है।

सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक ” अरब देशों की फोन कॉल को निजी सॉफ्टवेयर पर लेकर लैंडलाइन और मोबाइल नंबर के जरिए लोकल कॉल में बदलने का फर्जीवाड़ा नोएडा के अवैध टेलीकॉम एक्सचेंज से हो रहा था। ” फ़िलहाल वो पुलिस की गिरफ्त में आ गया हैं। इस रैकेट का मास्टरमाइंड ओवेस आलम सेक्टर-62 के आइथम टावर, सेक्टर-63 और मुरादाबाद में अपने घर से अपने इस नेटवर्क को चला रहा था।

इन तीनों जगह से करीब 300 आईएसडी कॉल हर मिनट लोकल में बदलती थी। प्रति कॉल 7 रुपये भारत सरकार के राजस्व का नुकसान होता था। इस हिसाब से एक मिनट में 2 हजार और पूरे दिन में 25 से 30 लाख रुपये की चपत यह एक्सचेंज लगा रहा था। साथ ही इस फर्जीवाड़े से आईसीडी कॉल पर निगरानी के लिए बना भारत सरकार के दूरसंचार व सुरक्षा एजेंसियों का सिस्टम भी दरकिनार हो रहा था।

अतिरिक्त डीसीपी रणविजय सिंह ने खुलासा करते हुए कहा ” पुलिस को इस अवैध एक्सचेंज के संचालन का अंदेशा जताते हुए टाटा टेलीकॉम सर्विसेस की तरफ से शिकायत दी गई थी। शिकायत पर एसीपी-2 रजनीश वर्मा की अगुवाई में सेक्टर-58 थाने की टीम ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। वे 3-4 साल से काम कर रहे थे, लेकिन यहां 6 महीने हो गए थे। 3 और पकड़े जाने थे। सर्वर, कंप्यूटर, नकदी, कार अन्य चीजों के साथ जब्त की गई। ओवेस आलम के पास से 10 से ज्यादा सिम कार्ड भी बरामद हुए हैं। ”

रजनीश वर्मा के दिए गए बयान के मुताबिक आरोपी ओवेस आलम ने टेलीफोन एक्सचेंज के इस अवैध कारोबार से करोड़ो रुपये की कमाई की है। पूछताछ में सामने आया है कि गाजियाबाद में 1 करोड़ रुपये का फ्लैट लिया, ओखला में एक प्लॉट लिया है। साथ ही इसके अकाउंट में 22 लाख रुपये होने की जानकारी मिली है।

बताया जा रहा हैं की यह अवैध एक्सचेंज नवंबर-2020 से संचालित हो रहा था। पूरा सिस्टम ऑटोमेटिक बनाया हुआ था। नोएडा पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट नेओवेस आलम के साथ पुलिस ने पुष्पेंद्र कुमार व पवन कुमार नाम के दो आरोपी पकड़े हैं। जो फ़िलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं।

पुलिस के मुताबिक पहले ओवेस आलम ने सिम बॉक्स के जरिए 25-30 कॉल बदलनी शुरू की। इस बीच उसका संपर्क डार्क नेट पर मुंबई के मोसिन नाम के व्यक्ति से हुआ। मोसिन ने शिपिंग अकाउंट तैयार करवाया हुआ है। इस अकाउंट पर अवैध कॉलिंग कार्ड बिजनेस से कई अरब देशों की आईएसडी कॉल को लोकल में बदलने का काम होता था।

मोसिन ने एक बॉस नाम का सॉफ्टवेयर देकर लैंडलाइन नंबर के जरिए अवैध एक्सचेंज का बड़े स्तर पर संचालन का धंधा ओवेस को समझाया। इसके बाद ओवेस ने आइथम टावर में ऑफिस खरीद कर यह काम शुरू किया। इस धंधे के तार मुंबई से जुड़े बताए जा रहे हैं।

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