नई दिल्ली – हालही में भारत के वित्त मंत्रालय की और से बड़ी खबर सामने आयी। भारत ने ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी (Cairn Energy Plc) को 1.2 अरब डॉलर लौटाने के अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (International Arbitration Tribunal) के फैसले को चुनौती दी है।
सरकार ने दवाकरते हुए कहा कि उसने ‘राष्ट्रीय टैक्स विवाद’ में कभी अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है। वित्त मंत्रालय ने उन रिपोर्टों को भी खारिज किया है। जिसमें कंपनी की ओर से विदेशों में भारत की सरकारी संपत्ति कुर्क कराने की कार्रवाई की आशंका से सरकारी बैंकों को विदेशों में अपने विदेशी मुद्रा खातों (Foreign Currency Accounts) से धन निकाल लेने को कहा गया है।
सरकार ने हालांकि तीन सदस्यीय मध्यस्थता अदालत में अपनी तरफ से न्यायधीश की नियुक्ति की और केर्यन से 10,247 करोड़ रुपये के पुराने टैक्स की वसूली के इस मामले में जारी प्रक्रिया में पूरी तरह भाग लिया। भारत के वित्त मंत्रालय के मुताबिक न्यायाधिकरण ने एक राष्ट्रीय स्तर के टैक्स विवाद मामले में निर्णय देकर अपने अधिकार क्षेत्र का अनुचित प्रयोग किया है। भारत कभी भी इस तरह के मामलों में मध्यस्थता की पेशकश या उस पर सहमति नहीं जताता है।
Government of India Condemns False Reporting on Cairn Legal Dispute
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(1/5) pic.twitter.com/HGIv5lmmGB— Ministry of Finance (@FinMinIndia) May 23, 2021
सरकार ने केयर्न एनर्जी से टैक्स की वसूली के लिए उसकी पूर्व में भारत स्थित इकाई के शेयरों को जब्त किया और फिर उन्हें बेच दिया। लाभांश को भी अपने कब्जे में ले लिया साथ ही टैक्स रिफंड को भी रोक लिया। यह सब केयर्न से उसके द्वारा भारतीय इकाई में किए गए फेरबदल पर कमाए गए मुनाफे पर टैक्स वसूली के लिए किया गया। सरकार ने 2012 में इस संबंध में एक कानून संशोधन पारित कर पिछली तिथि से टैक्स लगाने का अधिकार हासिल करने के बाद यह कदम उठाया।
केयर्न ने भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संधि (India-UK Bilateral Investment Treaty) के तहत उपलब्ध प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए मामले को मध्यस्थता अदालत में ले गई। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में पिछले साल दिसंबर में केयर्न के पक्ष में फैसला आया। जिसमें मध्यस्थता अदालत ने 2012 के कानून संशोधन का इस्तेमाल करते हुए केयर्न पर टैक्स लगाने को अनुचित करार दिया। इसके साथ ही न्यायाधिकरण ने भारत सरकार से केयर्न के शेयरों और लाभांश के जरिए वसूले गए 1.2 अरब डॉलर की राशि उसे लागत और ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया। वित्त मंत्रालय ने केयर्न की भारतीय इकाई केयर्न इंडिया को स्थानीय शेयर बाजार में लिस्टेड कराने के लिए 2006 में उसके कारोबार को पुनर्गठित के कदम को अनुचित योजना करार दिया और उसे भारतीय टैक्स कानूनों का बड़ा उल्लंघन बताया।