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दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का परिसर जलमग्न और प्रदूषित


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दरभंगा : एक तरफ देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर तांडव मचा रही हे उसी बीच कई राज्यों से अपूर्ति और ख़राब चिकित्सा सुविधाएं राज्यों के प्रशासन के कार्यो की पोल खोल रही हैं।

हालही में उत्तरी बिहार की दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (DMCH) में मंगलवार शाम करीब पांच बजे कोविड मरीजों के लिए एक आइसोलेशन विंग के वार्ड नंबर 3 में जोरदार कराह सुनाई दी। ये आवाज बाहर घूमने वाले सूअरों की दहाड़ से भी ज्यादा असहनीय थी। ये आवाजे सांस के लिए हांफ रहे बूढ़े आदमी की थी। जिसकी ऑक्सीजन की आपूर्ति काम नहीं कर रही थी। चार डॉक्टरों की टीम ने मरीजों की जांच करते हुए वार्ड नंबर 3 व वहां के कराह रहे मरीज को बायपास किया | तभी बूढ़े आदमी का रोना और तेज हो गया।

इस अस्पताल में फ़िलहाल सुरक्षा को लेकर कोई भी कदम नहीं उठाये गए हैं। यहाँ छिपकली दीवारों पर घूमती हैं। गंदे यूनिसेक्स शौचालय और महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं। मरीजों के परिवार के सदस्यों को गलियारे के किसी अंधेरे कोने में खुद को राहत देने के लिए मजबूर करते हैं। रोगियों के साथ आने वाले परिवार के सदस्य अक्सर अपने मोबाइल से टॉर्च की रोशनी पर निर्भर रहते हैं। अक्सर, मरीज़ों को कुछ राहत देने के लिए परिवार टेबल फैन लाते हैं – वार्डों में अक्सर सीलिंग फैन नहीं होते हैं।

नर्सों का कक्ष – क्लॉस्ट्रोफोबिक, अस्वच्छ और उचित वेंटिलेशन के बिना – दूसरे युग का लगता है। डीएमसीएच 2.5 करोड़ की आबादी वाले उत्तर बिहार के कम से कम पांच जिलों – दरगंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, बेगूसराय और सुपौल – को पूरा करता है।

DMCH चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक ” जल्द ही कैंपस जल्द ही 100 साल पूरे कर लेगा और उसी के अनुसार बनाया गया था। हम मरीजों के इलाज और उनकी जान बचाने के लिए अपना पसीना और खून बहाते हैं। प्रशासन नई सुविधाओं पर काम कर रहा है। दवा, ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति है। ” साथही में वर्षा के बाद निचले इलाकों में जलभराव की समस्या है। डीएम ने अगले 15 दिनों के भीतर सड़क बनाने का आदेश जारी किया है। हम कचरा प्रबंधन के लिए एक आउटसोर्स एजेंसी के संपर्क में हैं और वे इस पर काम कर रही हैं।

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