नई दिल्ली – कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस और अब व्हाइट फंगस आ गया है। यह बीमारी मुख्य रूप से इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड कोविड-19 रोगियों को प्रभावित कर रही है। यह एक अलग फंगस है जिसे व्हाइट फंगस कहा जाता है। इसने पूरे देश में एक बार फिर हलचल मचा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ब्लैकं फंगस के जितना खतरनाक नहीं है।
White fungus (Aspergillosis) is not as dangerous as black fungus. The treatment for the latter can continue for 1-1.5 months hence early diagnosis is critical. Don't take steroids to treat #COVID19 without consulting your doctor: Dr Suresh Kumar, MD LNJP Hospital, Delhi (21.05) pic.twitter.com/GUe5u7AdJ6
— ANI (@ANI) May 21, 2021
सही समय पर इसे पहचान कर डॉक्टर के पास चले जाएं, इसको लिए शीघ्र इलाज जरूरी है जो एक से डेढ़ महीने चल सकता है। एक अख़बार में छपी खबर के मुताबिक, व्हाइट फंगस (एस्परगिलोसिस) ब्लैग फंगस जितना खतरनाक नहीं है। इसका इलाज 1-1.5 महीने तक जारी रह सकता है। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना #COVID19 के इलाज के लिए स्टेरॉयड न लें। डॉक्टर्स के मुताबिक, यह फंगस तंग और नम जगहों पर उगता है इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके आस-पास नियमित रूप से सफाई हो। कई दिनों तक फ्रिज में रखी खाने की चीजों का सेवन करने से बचें, ताजे फल खाएं, अपने घर में धूप आने दें और अपने मास्क को रोजाना धोएं।
व्हाइट फंगस की पहली रिपोर्ट पटना, बिहार से आई थी। हालांकि, सरकार द्वारा संचालित पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) ने इन खबरों को खारिज कर दिया।