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नारद घोटाला: न्यायाधीशों में अरिजीत बनर्जी को जमानत देने या नजरबंद करने के पक्ष पर हुआ विवाद


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कोलकाता – सीबीआई ने 17 मई को बंगाल के राजयपाल जगदीप धनखड़ से जाँच करने की मंजूरी मिलने के बाद नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में ममता बेनर्जी की TMC पार्टी के कई बड़े नेताओ को गिरफ्तार किया था। उन्हें उसी दिन सीबीआई की विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी। इसके बाद सीबीआई ने उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने गिरफ्तार नेताओं को दी गई जमानत पर रोक लगा दी।

फ़िलहाल नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बंगाल के दो मंत्रियों (फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी), विधायक मदन मित्रा और टीएमसी के पूर्व नेता सोवन चटर्जी को नजरबंद करने का आदेश दिया।

स्थगन आदेश को लेकर हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच विवाद हुआ। न्यायाधीशों में से एक जो अरिजीत बनर्जी जमानत देने के लिए तैयार थे, जबकि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नारद मामले में नजरबंद के पक्ष में थे। जिसके चलते आखिर में कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले की सुनवाई अब बड़ी बेंच करेगी। तब तक कोर्ट ने आदेश दिया कि टीएमसी नेताओं को जेल में हिरासत के बजाय नजरबंद रखा जाए।

हालांकि टीएमसी नेताओं की ओर से वकील अभिषेक मनु एम सिंघवी कोर्ट में खड़े हुए हैं | उनके मुताबिक ” हाउस अरेस्ट भी एक गिरफ्तारी है। चारों नेताओं को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। उड़ान के जोखिम की कोई संभावना नहीं है, वे जांच में सहयोग कर रहे हैं। ” सिंघवी को जवाब देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी ने कहा ” पीठ के एक न्यायाधीश ने अंतरिम जमानत देना उचित समझा जबकि अन्य ने नहीं। इसलिए हमने उस पर बड़ी बेंच का हवाला दिया। तब तक वे घर में नजरबंद हो सकते हैं क्योंकि महामारी है। ”

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