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OMG! चांद को परमाणु बम से गिराने की साजिश! जानें क्या था Project A-119


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नई दिल्ली – अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चले शीत युद्ध के दौरान ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिन्हें सुनकर आज भी लोग डर जाते हैं। उस समय अमेरिका और सोविय संघ हर क्षेत्र में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में थे, जिससे अंतरिक्ष भी अछूता नहीं रहा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका की वायुसेना ने साल 1958 में एक टॉप सीक्रेट प्लान तैयार किया, जिसे ‘अ स्टडी ऑफ लूनर रिसर्च फ्लाइट्स’ नाम दिया गया।

क्या था Project A-119
इसे प्रोजेक्ट ‘ए-119’ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य चांद पर परमाणु बम गिराना था, ताकि विज्ञान के विषयों प्लेनेटरी एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोजियोलॉजी के कुछ रहस्यों से जुड़े जवाब मिल सकें। अमेरिका ने परमाणु बम लूनर क्रिएटर के बजाय सतह पर गिराने की योजना बनाई थी, ताकि धरती से ही नंगी आंखों से उसकी चमकती रोशनी को देखा जा सके। ऐसा अमेरिका अपनी ताकत दिखाने और ये साबित करने के लिए करना चाहता था कि उसके पास कितना कुछ करने की क्षमता है।

तब सोवियत संघ अंतरिक्ष की रेस में जीत हासिल कर रहा था। सोवियत भी इसी तरह के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। हालांकि ये प्रोजेक्ट भी कभी पूरा नहीं हुआ और इसे बाद में रद्द कर दिया गया। प्रोजेक्ट ए-119 को रद्द करने को लेकर ‘वायुसेना के अधिकारियों ने कहा था कि इसके फायदों से ज्यादा जोखिम हैं। अगर इस प्रोजेक्ट पर काम होता तो अंतरिक्ष पर सैन्य अड्डा भी बनाया जाता। सोवियत संघ भी ऐसे ही एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, जिसका नाम ई-4 था। हालांकि ये भी सफल नहीं हो सका।

अमेरिका के इस प्रोजेक्ट के बारे में साल 2000 में नासा में पूर्व एग्जीक्यूटिव रहे लियोनार्ड रीफिल ने बताया था। जिन्होंने 1958 में प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया था। प्रोजेक्ट के पूरा नहीं होने के पीछे का एक अन्य कारण नकारात्मक सार्वजनिक प्रतिक्रिया का डर था। बता दें कि ए-119 प्रोजेक्ट से जुड़े दस्तावेज करीब 45 साल तक गोपनीय रखे गए थे। हालांकि अमेरिका आज तक आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया है।

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