नयी दिल्ही – आंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के भावों में उतार-चढ़ाव आतें रहते हैं। जिसका प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पेट्रोल और डीज़ल पर होतीं हैं। पेट्रोल और डीज़ल के भावों में कही बार बढ़ोतरी हुयी हैं। पेट्रोल और डीज़ल के भाव प्रति लिटर भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग हैं।
परसों भाजपा के नेता सुशील मोदी ने राजयसभा में निवेदन दिया था की पेट्रोल और डीज़ल को GST (Goods and Services Tax) के तेहत 8 से 10 सालों तक लाना संभव ही नहीं हैं। अगर पेट्रोल-डीज़ल को GST तहत लाया गया तो उससें कहीं राज्यों को 2 लाख रुपयें तक की हानि हो सकती हैं। GST तहत पेट्रोल-डीज़ल आ जायें तो प्रति लीटर भावों में ३० से ४० रुपए तक कटौती संभव हैं।
सुशिल मोदी के निवेदन के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बयान दिया हैं कि अगली होनें वाली GST कॉउंसलिंग की बैठक में पेट्रोल और डीज़ल को GST तहत लाने पर चर्चा होंगी। बता दें की पेट्रोल-डीज़ल में से केन्द्र और राज्य सरकारों को तक़रीबन 5 करोड़ रूपये तक का कर मिलता हैं जो सरकार की तिजोरी में जमा होता हैं। कोरोना का प्रभाव कच्चे तेल के भावो पर भी दिखायी दिया। आंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले 15 दिनों में कच्चे तेल के भाव में ११ फीसदी गिरावट हुयी हैं। पिछले साल मार्च,२०२० में कच्चे तेल के भाव प्रति बेरल २६ डॉलर थी जो मार्च,२०२१ में बढ़कर ६३ डॉलर हो गयीं हैं।