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NASA के वैज्ञानिकों का बड़ा दावा, कहा- मंगल पर खनिजों की सतह के नीचे छिपा है पानी


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नई दिल्ली – अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने मंगल ग्रह पर मार्स पर्सिवरेंस रोवर भेजने में सफलता हासिल कर ली है। अपने मार्स पर्सिवरेंस रोवर को जेजेरो क्रेटर में सफलतापूर्वक लैंड कराया है। छह पहिए वाला यह रोवर मंगल ग्रह पर उतरकर वहां पर कई तरह की जानकारी जुटा रहा है। जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकेगा कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था। अमेरिका मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।

इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने अब नया दावा किया है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे प्राचीन पानी छिपा है। नासा द्वारा पोषित इस अध्ययन ने उस थ्योरी को चुनौती दे दी है जिसमें कहा गया था कि मंग्रल ग्रह का सारा पानी अंतरिक्ष में उड़ गया है। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (जेपीएल) के वैज्ञानिकों का अध्ययन साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें उनका दावा है कि मंगल ग्रह पर मौजूद 30 से 99 फीसदी पानी ग्रह पर मौजूद खनिजों और उसकी सतह के भीतर मौजूद है।

वैज्ञानिकों के अनुसार 400 करोड़ वर्ष पहले मंगल ग्रह पर इतना पानी था कि यहां 100 से 1500 मीटर गहरा और पूरे ग्रह पर फैला समुद्र बन सकता था। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रह की चुंबकीय शक्ति (मैग्नेटिक फिल्ड) खत्म हो गई थी। इसके बाद ग्रह का वातावरण खत्म होने लगा, इसी कारण ग्रह का पानी भी खत्म हो गया और करोड़ों वर्ष बाद भी वो आज भी सूखा है।

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